Monday, December 24, 2012
Monday, May 28, 2012
GOD ईश्वर प्रभु भगवान
यदि हमें कुछ खास कहना हो या लिखना हो तो हमें बहुत सोचना पड़ता है. यदि इश्वर के बारे में कहना है तो थोडा बहुत तो हर कोई कह लेता है. इश्वर ने हमें बनाया है इस धरती पर भेजा है. क्यों भेजा है केवल वो ही जानता है. हम नहीं. हमें तो केवल जैसे दुनिया चलाये चलना है . यही दस्तूर है.
ये शरीर क्या है. हम इसे नश्वर कहते है. न श्वर यानी बिना स्वर का जिसका अपना कोई स्वर नहीं है जो दुनिया के बजाने से बजता है. जिसकी अपनी कोई सोच नहीं है. पैदा होने के बाद जो जो अपने आस पास देखता है उसी के अनुसार धीरे धीरे बजना शुरू हो जाता है. कभी सुर में बजता है तो कभी बेसुरा, लेकिन बजता जरूर है.
किसी को बताया गया क़ि इश्वर में आस्था रखो और यही ध्यान रखो क़ि जो भी हम करते है (बुरा या अच्छा) वो इश्वर ही कराता है सब उसी को समर्पित कर दो. उसका सवाल था तो सारा बुरा इश्वर ही कराता है. तब उसे कहा गया क़ि यदि आपको १० आदमी और १० औरतो का भगवन बना दिया जाए और कहा जाहे क़ि ये सब तुम्हारे कहे अनुसार ही चलेंगे तो आप उनका जीवन कैसे चलाएंगे. उसका जवाब था मेरी समझ में कुछ नहीं आया क़ि में उनसे क्या कराऊंगा. तब मैंने कहा, तो सोचो क़ि भगवन पुरे संसार को कैसे चलाता है?
06.06.2011 ईश्वर को धन्यवाद कैसे दे?
क्या उस ऊपर वाले को धन्यवाद देना चाहिए या नहीं. जैसे मम्मी पापा अपने बच्चो के लिए काम करते है लेकिन बच्चे धन्यवाद नहीं देते वैसे ही ईश्वर के भी हम बच्चे ही तो है फिर उसको धन्यवाद किस बात का जहाँ तक ज्ञात है वेद, पुराणों में तो ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है इसी कारण से हमे भी बचपन से ही ईश्वर को धन्यवाद देना सिखाया जाता है. हे ईश्वर तुने हमे भोजन दिया तेरा धन्यवाद ! हे ईश्वर, तुने ज्ञान दिया, तेरा धन्यवाद
हे ईश्वर तुने हमे सोने के लिए नरम बिस्तर दिए तेरा धन्यवाद है!
हे ईश्वर तुने जीवन दिया ... मैंने कोनसा पाप किया था जो वापस यहाँ भेज दिया.... तेरा धन्याद, में सदैव तेरा आभारी रहूँगा. हाँ हाँ हाँ
लेकिन एक बात जो कहना चाहूगा यदि आपने ईश्वर में पूरी आस्था रखी तो वो ही हाथ पकड़ कर तुम्हे उसके और तुम्हारे (जो तुम्हारे लिए सबसे अच्छा है) चाहे रास्ते पर ले जाएगा
ये सही है कि रास्ते में परेशानियाँ आएगी, वो तो भाई परीक्षा है देनी तो पड़ेगी, नहीं तो अच्छे नंबर कैसे लाओगे, लड्डू (सफलता) कैसे खाओगें
किसी ने कहा ही है भाग्य से ज्यादा और समय से पहले कुछ नहीं मिलता
मैंने ईश्वर के बारे में जितना सोचा है उतना ही ज्यादा सोचने पर मजबूर होना पडा है
यह कहा जाता है कि मनुष्य जो भी करता है ईश्वर ही कराता है
यह कोई जरुरी नहीं है कि हम अच्छा कर रहे है तो भविष्य में अपने साथ अच्छा ही होगा
लेकिन यह निश्चित है कि अगर हमने बुरा किया है तो हमारे साथ भी बुरा ही होगा
ईश्वर ने हमे अच्छा बुरा सोचने के लिए मन व मस्तिक दिया है
जब भी हम कोई काम करने की सोचते है तो हमारा मन बताता है कि यह सही है और यह गलत है
फिर भी जानते हुए हम गलत काम करते है तो दंड तो मिलना स्वाभाविक है
ईश्वर हमेशा हमे अच्छे काम की तरफ लेकर जाता है, वो तो हम है जो गलत कारणों से, अपने लालच के कारण गलत काम करते है, तो दंड तो मिलना ही है ना
05.06.2012
Who am I...? It takes a long life to understand and know self. Few years back, I thought myself as a observance of elders orders and was there to follow the orders and complete the task within and before due time.
Presently, what am I...? I am nothing or important thing. Experience has taught me many rules & regulations of life and rules and regulations of books. Am I giving 100 percent to my work or just spending time? Am I (my capabilities) used upto 100 percent or not? Still there are lots to learn and gain... I have gained many with the ashirwad of Oopr Wala... and of course HE will keep continue giving me more.... my faith says so...
I know my capabilities.
21.05.2012 Wah re Duniya...
दुनिया कैसी है - अच्छे लोगों को तो हम धोक देने में परेशानी होती है लेकिन दुष्टों को धोक लगाना जरुरी हो जाता है
क्योकि अच्छे तो अच्छे ही रहेंगे लेकिन बुरे लोग कब बुरा मान कर आपका नुकसान कर दे ये मालूम नहीं है
इसलिए आजकल ज़माना है - अच्छे से बात करो या नहीं लेकिन बुरे आदमी से हमेशा दोस्ती बाधाओं, उसके धोक लगाओं और अपना काम चालों
जय श्री राम
ईश्वर को मानते तो बहुत है लेकिन ईश्वर पर विश्वास कितने करते हैं यह विश्वास से कोई नहीं कह सकता है हर कोई कहता हआ मिल जायेगा कि मैनें अपने कर्मों से अपना नसीब बनाया है लेकिन मैं इस पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करता हूँ क्योंकि ईश्वर ने आपकों मौका दिया कि आप ऐसे कर्म कर सकों यह तो सभी मानेंगे कि सबकुछ ऊपर से ही निश्चित होकर आता है यदि ऐसा नहीं होता तो सभी समान आकार प्रकार के होते, सभी मेघावी होते या सभी मेघावी नहीं होते, लेकिन प्रकृति\ईश्वर ने सभी को भिन्न-भिन्न शक्ल व अक्ल दी है ऐसा कहना कि सबकुछ मेरी मेहनत का है ईश्वर की कृपा का अपमान लगता है उसने आपको ऐसा बनाया, ऐसा सक्त मन दिया, ऐसा सक्त शरीर दिया, यदि शरीर सक्त नहीं दिया तो मन व दिमाग सक्त किया है जिससे आप अपनी या उसके द्वारा आपके मन में पैदा किये गये काम को पुरा कर सकों ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने हमें ऐसा बनाया, यह कहना कि ९९ प्रतिशत तो मेहनत का है व १ प्रतिशत ईश्वर का सरासर गलत है यदि ऊपर वाले ने आपको मेहनत करने का मौका ही नहीं दिया होता, यदि उसने आपके इच्छित फल मिलने से पहले ही आपके साथ कोई अन्य घटना कर दी होती, यदि आप जहां पैदा हुए है वहां नहीं होकर कहीं ओर पैदा हुए होते, आपका दिमाग तेज न होकर मंद होता, तो क्या करते, सोचों, यह उसी का दिया हुवा है ऐसा ही मानों कोई राजा होता है कोई रंक, कोई फकीर होता है कोई साधु
Computers
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Desktop Computer
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60-250 watts
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On screen saver
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60-250 watts(no difference)
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Sleep / standby
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1 -6 watts
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Laptop Computer
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15-45 watts
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Monitors
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Typical 17" CRT
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~80 watts
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19" LCD
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17-31 watts
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20-24" LCD
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18-72 watts
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Screen saver (any image on screen)
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same as above
(no difference) |
Sleeping monitor (dark screen)
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0-15 watts
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Monitor turned off at switch
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0-10 watts
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Thursday, February 16, 2012
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